ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है पादरी की हवेली
पटना.पौराणिक शहर पटना सिटी के गुरहट्टा स्थित पादरी की हवेली महागिरजाघर 395 वर्ष पुराना है. ईसाई समुदाय द्वारा 1628 ई. में स्थापित पादरी की हवेली सैकड़ों वर्ष बाद भी अपने भीतर उस दौर का सूबसूरत इतिहास समेटे हुए है.यहां पर बिशप हार्टमन रहते थे.इस लिए पादरी की हवेली महागिरजाघर को कैथेड्रल कहा जाता है.इस समय बांकीपुर में संत जोसेफ प्रो केथेड्रल में आर्चबिशप सेबेस्टियन कल्लूपुरा रहते हैं.यह प्रो केथेड्रल 1927 में बना था.1934 में भूकंप आने से छत खराब होने से मरम्मत की गयी.बिहार के सबसे पुराने गिरजाघर पादरी की हवेली है.यहां बिशप हार्टमैन की कुछ अवशेष मौजूद हैं.बिशप हार्टमैन की मध्यस्थता से कई चमत्कार हुए हैं और उन्हें संत बनने की कड़ी में सर्वेंट ऑफ गॉड की उपाधि भी मिल गई है. बिशप हार्टमैन के कमरे भी है. जहां उनके कपड़े का अंश, हड्डियां और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली कुर्सी थी.इजरायल के पत्थर भी है.
कुर्जी पल्ली के निवासी होने के बाद भी पादरी की हवेली से संबंधित रहा हूं.मेरे परिवार के लोग पादरी की हवेली यानी संत मेरी चर्च में सेवा प्रदान किए है.बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक के कार्यकाल में केंद्र सरकार को पत्र लिखे.ऐतिहासिक पादरी की हवेली महागिरजाघर को पर्यटन स्थल घोषित किया.सिसिल साल कहते है कि मेरे चार वर्षों के अथक प्रयास रंग लाया, बिहार सरकार द्वारा 18 नवम्बर 2013 को मेरे नाम से पत्र द्वारा सूचित किया गया कि अब बिहार के पर्यटक स्थल में पादरी की हवेली, पटना सिटी चर्च को ले लिया गया ! इस तरह पर्यटन स्थल घोषित करवाने में कामयाबी हासिल कर पाये.इसमें उस समय का पल्ली पुरोहित फादर जेराेम का भी योगदान रहा.
वर्ष 2013 के नवंबर माह में पादरी की हवेली पर्यटन विभाग के मानचित्र पर आ गया. पादरी की हवेली महा गिरजाघर के मुख्य द्वार का निर्माण फादर जेरोम ने वर्ष 2014 में कराया. पटना सिटी आने वाले पर्यटकों के लिए पादरी की हवेली महागिरिजाघर आकर्षण का केंद्र है.
आलोक कुमार
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