“अमोल अनिल मजूमदार: वह कोच जिसने अधूरी पारी को भारतीय महिला क्रिकेट के वर्ल्ड कप से पूरा किया”
पटना.भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जब इतिहास रचते हुए अपना पहला वनडे विश्व कप खिताब जीता, तो इस जीत के पीछे एक शांत, संयमित और बेहद रणनीतिक सोच वाले कोच का हाथ था — अमोल अनिल मजूमदार. यह जीत सिर्फ देश के लिए नहीं, बल्कि खुद मजूमदार के लिए भी एक भावनात्मक क्षण थी, क्योंकि टीम ने यह सफलता उनके जन्मदिन (11 नवंबर) से ठीक पहले हासिल कर उन्हें अब तक का सबसे बड़ा तोहफा दिया.
अमोल अनिल मजूमदार घरेलू क्रिकेट के पूर्व स्टार हैं. उन्होंने भारतीय क्रिकेट इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.वह भारतीय क्रिकेट के उन चुनिंदा दिग्गजों में हैं, जो बिना इंटरनेशनल डेब्यू किए भी लीजेंड बने. वह मुंबई और बाद में असम के लिए दाएं हाथ के बल्लेबाज रहे. उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अमरजीत कायपी को पीछे छोड़ते हुए सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड बनाया और 1993-94 सीजन में बॉम्बे के लिए हरियाणा के खिलाफ अपने प्रथम श्रेणी पदार्पण मैच में विश्व रिकॉर्ड 260 रन बनाकर सुर्खियां बटोरीं.
अमोल मजूमदार क्रिकेट की उस दुर्लभ श्रेणी में आते हैं जिन्हें प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी, पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कभी खेलने का अवसर नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि कोचिंग के ज़रिए अपनी अधूरी पारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
घरेलू क्रिकेट का दिग्गज सितारा
11 नवंबर 1974 को मुंबई में जन्मे मजूमदार घरेलू क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. उन्होंने 171 फर्स्ट क्लास मैचों में 11,167 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 60 अर्धशतक शामिल हैं। उनके बल्ले की गूंज रणजी ट्रॉफी में वर्षों तक सुनाई दी, लेकिन भारतीय टीम का ब्लू जर्सी उन्हें नसीब नहीं हुआ.
सचिन-आचरेकर की परंपरा से निकला एक नाम
मजूमदार ने क्रिकेट की बारीकियां शारदाश्रम विद्यामंदिर में सीखी, वही संस्था जिसने सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसे दिग्गज दिए। कोच रामाकांत आचरेकर की शागिर्दी में उन्होंने अनुशासन, धैर्य और खेल के प्रति सम्मान सीखा—वही गुण जो बाद में उनकी कोचिंग की पहचान बने.
मैदान से डगआउट तक का सफर
2014 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मजूमदार ने कोचिंग का रास्ता चुना. उन्होंने भारत की अंडर-19 और अंडर-23 टीमों के बल्लेबाजी कोच के रूप में काम किया, राजस्थान रॉयल्स (IPL) के साथ भी जुड़े, और दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम तथा नीदरलैंड क्रिकेट टीम को भी अपने अनुभव से दिशा दी.
भारतीय महिला टीम की नई उड़ान
अक्टूबर 2023 में जब बीसीसीआई ने उन्हें भारतीय महिला टीम का हेड कोच नियुक्त किया, तो आलोचकों ने सवाल उठाए—"जिसे कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला, वह विश्व कप जिताएगा कैसे?" लेकिन मजूमदार ने अपने अनुभव, शांत स्वभाव और रणनीतिक सोच से टीम में अनुशासन, आत्मविश्वास और दृढ़ता का संचार किया.उनकी कोचिंग में टीम ने सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती सीखी। खिलाड़ियों को "खेलो, डर के बिना" का मंत्र मिला। और परिणाम—भारत का पहला महिला वर्ल्ड कप.
जन्मदिन पर देश का तोहफा
भारत की इस ऐतिहासिक जीत के कुछ ही दिन बाद, जब अमोल मजूमदार 51 वर्ष के हुए, पूरा देश उन्हें एक नायक की तरह देख रहा था। यह उस खिलाड़ी की कहानी है, जिसे मैदान पर खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उसने डगआउट से इतिहास लिख दिया.अमोल मजूमदार ने साबित कर दिया — “कभी-कभी अधूरी पारी ही सबसे प्रेरक कहानी बन जाती है.”
आलोक कुमार

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