शनिवार, 6 सितंबर 2025

सीपीआई (एमएल) लिबरेशन का चुनावी संदेश

 सीपीआई (एमएल) लिबरेशन का चुनावी संदेश


नई दिल्ली .बिहार से अखिल भारतीय राजनीति तकसीपीआई (एमएल) लिबरेशन महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने शनिवार, 6 सितंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित पार्टी संसदीय कार्यालय, 25 मीनाबाग में लोकतांत्रिक वाम बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं से बिहार चुनाव की दिशा पर संवाद किया.

      इस विचार-विमर्श में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभरे—एसआईआर विरोधी आंदोलन की रिपोर्ट और उससे जुड़े जनप्रतिरोध का साझा आकलन.आगामी चुनाव में प्रमुख मुद्दों का परखना.बिहार चुनाव के दीर्घकालिक और अखिल भारतीय महत्व पर विमर्श.इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे, सामाजिक–राजनीतिक ध्रुवीकरण और रणनीतिक सहयोग पर सलाह-मशविरा.दीपंकर भट्टाचार्य ने साफ संकेत दिया कि इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा एनडीए की तुलना में कहीं अधिक सहज और सहयोगपूर्ण तरीके से संभव होगा. 

     माले इस बार पिछली 19 सीटों के मुकाबले लगभग 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.राजनीतिक विश्लेषण यह कह रहा है कि इस बार फ्लोटिंग वोटरों की संख्या भले कम हो, लेकिन निर्णायक होगी. अधिकांश बड़े सामाजिक समुदायों का झुकाव स्थिर दिख रहा है, किंतु सबसे कठिन और निर्णायक जंग अति पिछड़ा उप-समुदायों के वोटों पर केंद्रित रहने वाली है.

                 सीपीआई (एमएल) की ऐतिहासिक और सामाजिक जड़ें दलितों व अति पिछड़े तबकों में गहराई से जुड़ी रही हैं। लिहाजा, अगर गठबंधन में माले की सीटों में वृद्धि होती है तो यह न केवल पार्टी के लिए बल्कि इंडिया गठबंधन के व्यापक प्रदर्शन के लिए भी शुभ संकेत होगा।क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे थोड़ा और धारदार शीर्षकों और उपशीर्षकों के साथ संपादकीय कॉलम जैसा बना दूँ?


आलोक कुमार)

शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

डा0 राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण

 पटना .आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में पूर्व राष्ट्रपति डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 137वीं जयंती शिक्षक दिवस के रूप में मनाई गई .कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस  कमेटी के अध्यक्ष राजेश राम   ने की.

इस अवसर पर डा0 राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए प्रदेश कांग्रेस  कमेटी के अध्यक्ष राजेश राम   ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन केवल एक विद्वान ही नहीं, बल्कि शिक्षा के माध्यम से समाज और राष्ट्र को नई दिशा देने वाले ,महापुरुष थे.उन्होंने अपने जीवन को शिक्षा, दर्शन और मानवता के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. भारत में शिक्षक दिवस मनाना, उनके योगदान और आदर्शों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है.

       श्री राम ने कहा कि आज की पीढ़ी को डॉ. राधाकृष्णन के विचारों से प्रेरणा लेकर ज्ञान, नैतिकता और राष्ट्रभक्ति के पथ पर चलना चाहिए। शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम न होकर, समाज को संस्कारित और राष्ट्र को सश
क्त बनाने का आधार होना चाहिए – यही डॉ. राधाकृष्णन का संदेश था.

     इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और समान अवसर उपलब्ध कराने के अपने वादे पर हमेशा प्रतिबद्ध है.भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही शिक्षक का समाज में बड़ा स्थान रहा है. शिक्षक राष्ट्र के निर्माता हैं तथा उनका सम्मान हमेशा होना चाहिए.इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष डा0 मदन मोहन झा, पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक, पूर्व विधान पार्षद प्रेमचन्द्र मिश्रा,इजहारूल हुसैन, राजेश राठौड़,  ब्रजेश प्रसाद मुनन, जमाल अहमद भल्लू, कपिलदेव प्रसाद यादव, अजय  चौधरी  , डा0 अम्बुज किशोर झा, नागेन्द्र कुमार विकल, ज्ञान रंजन, राजीव मेहता, सुनीता देवी, शकीलुर रहमान शशि रंजन सत्येन्द्र कुमार सिंह, वैद्यनाथ शर्मा, संतोष श्रीवास्तव, शशिकांत तिवारी अश्विनी कुमार, अरविन्द लाल रजक, सुधा मिश्रा,प्रदुम्न यादव,मृणाल अनामय, चन्द्र भूषण, रवि गोल्डन, अखिलेश्वर सिंह , सुनील कुमार सिंह, संजय कुमार श्रीवास्तव, साधना रजक, यशवन्त कुमार चमन, रंजीत यादव, राजेन्द्र  चौधरी  , प्रमोद राय, निखिल कुमार,गुरूजीत सिंह, एवं अन्य कांग्रेसजनों ने भी डा0 राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यापर्ण किया.


आलोक कुमार

   

गुरुवार, 4 सितंबर 2025

पूर्व उप-राष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपना आधिकारिक बंगला खाली कर दिया

 

नई दिल्ली.पूर्व उप-राष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपना आधिकारिक बंगला खाली कर दिया. धनखड़ ने जुलाई में अपने पद से इस्‍तीफा दिया था. कुछ दिन पहले धनखड़ उस समय कई दिनों तक गायब रहने के बाद फिर खबरों में आए थे जब उन्‍होंने राजस्थान में पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए आवेदन किया. धनखड़ की विधायक वाली पेंशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.पूर्व उपराष्‍ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान विधायक से लेकर राज्‍यपाल तक रहे. अंत में वह उप-राष्‍ट्रपति के पद पर नियुक्‍त हुए. एक नजर डालिए कि बतौर पूर्व उप-राष्‍ट्रपति धनखड़ को कितनी पेंशन मिलेगी. साथ ही अब वह किन सुविधाओं के हकदार होंगे.

कितनी पेंशन के हकदार हैं धनखड़?
अधिकारियों के मुताबिक, धनखड़ तीन तरह की पेंशन के हकदार हैं—1. पूर्व उपराष्ट्रपति के तौर पर उन्‍हें करीब 2 लाख रुपये मासिक पेंशन, साथ ही टाइप-8 बंगला, एक निजी सचिव, अतिरिक्त निजी सचिव, निजी सहायक, चिकित्सक, नर्सिंग अधिकारी और चार निजी परिचारक की सुविधा.पूर्व सांसद के तौर पर 45,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन और अन्य भत्ते. 3. पूर्व विधायक (राजस्थान) के तौर पर 42,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन.  

नहीं मिलेगी यह एक सुविधा 
हालांकि, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहने के नाते उन्हें कोई पेंशन नहीं मिलेगी. लेकिन पूर्व राज्यपाल होने पर सचिव रखने के लिए 25,000 रुपये मासिक प्रतिपूर्ति का विकल्प उपलब्ध है. गौरतलब है कि पूर्व उपराष्ट्रपति के निधन की स्थिति में उनके जीवनसाथी को टाइप-7 श्रेणी का आवास उपलब्ध कराया जाता है. 

कितनी होगी विधायक की पेंशन 
राजस्थान में पूर्व विधायक की पेंशन एक कार्यकाल के लिए 35,000 रुपये प्रति माह से शुरू होती है तथा अतिरिक्त कार्यकाल और उम्र के साथ बढ़ती जाती है.  सत्तर वर्ष से अधिक आयु वालों को 20 प्रतिशत की वृद्धि का लाभ मिलता है. अधिकारियों के अनुसार, धनखड़ (74) पूर्व विधायक होने के नाते 42,000 रुपये प्रति माह के हकदार.



आलोक कुमार

बुधवार, 3 सितंबर 2025

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लहटन चौधरी की 22वीं पुण्यतिथि


पटना.  प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, सदाकत आश्रम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 दारोगा प्रसाद राय की 103वीं जयंती एवं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लहटन चौधरी की 22वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश राम  ने किया .इस अवसर पर राजेश राम  ने कहा कि दारोगा बाबू कांग्रेस के सम्मानित नेता थे और राज्य सरकार के लम्बे समय तक मंत्री एवं बाद में मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में पिछड़ो दलितों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए कई योजनायें चलाई .


राजेश राम  ने कहा कि स्व0 लहटन चौधरी लम्बे समय तक राज्य सरकार में कृषि, राजस्व एवं स्वास्थ विभाग के मंत्री रहे.उन्होंने कहा कि वे जिस जिस विभाग के मंत्री रहे वहाँ उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी। लहटन चौधरी, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे तथा सभी दायित्वों को उन्होंने ईमानदारी से निभाया.

इस अवसर पर श्रद्धाँजलि अर्पित करने वालों में कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता डा0 शकील अहमद खान, विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता डा0 मदन मोहन झा, राष्ट्रीय सचिव सह बिहार प्रभारी सुशील पासी, पूनम पासवान, डा0 समीर कुमार सिंह, प्रेमचन्द्र मिश्रा, जितेन्द्र गुप्ता, कृपानाथ पाठक,, मोती लाल शर्मा,जमाल अहमद भल्लू, संजीव प्रसाद टोनी प्रतिमा कुमारी दास, इजहारूल हुसैन, अफाक आलम , अजय कुमार सिंह, संतोष मिश्रा, आनन्द शंकर, छत्रपति यादव, राजेश राठौड़, ब्रजेश प्रसाद मुनन, अजय चौधरी , अम्बुज किशोर झा, प्रवीण सिंह कुशवाहा, अमिता भूषण, आनन्द माधव, डा0 अजय कुमार सिंह, अनिल कुमार, उमेर खान, शशि रंजन, राजीव मेहता, मंजीत आनन्द साहू, असितनाथ तिवारी, ज्ञान रंजन, मुन्ना शाही, शिशिर कौंडिल्य, सत्येन्द्र कुमार सिंह, वैद्यनाथ शर्मा, गुंजन पटेल, कमलदेव नारायण शुक्ला, अशोक गगन, आशुतोष शर्मा, पंकज यादव,पूनम देवी, कमल कमलेश, मिन्नत रहमानी, शशि कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह,संतोष श्रीवास्तव,मो0 कामरान, सुदय शर्मा,शरीफ रंगरेज, वसी अख्तर, मृणाल अनामय, संजय पाण्डेय, कैसर खान, उमेश कुमार राम, रवि गोल्डन,रीता सिंह, मो0 शाहनवाज,विश्वनाथ बैठा, सहित अन्य कांग्रेसजन मौजूद थे.


आलोक कुमार

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

अतीत की गहराइयों से — बेतिया से वर्तमान तक

                                                       अतीत की गहराइयों से — बेतिया से वर्तमान तक

बेतिया.भारत के इतिहास में ऐसे चरित्र कम ही मिलते हैं जिन्होंने अपनी आस्था, विद्वता और मानवता से किसी पूरे समुदाय की नियति बदल दी हो.फादर जोसेफ मैरी बर्निनी उन्हीं विरल हस्तियों में से एक थे। 1709 में लोम्बार्डी (गार्गनानो) में जन्मे बर्निनी ने बेतिया की भूमि पर न केवल मिशनरी कार्य किया, बल्कि एक ऐसा ईसाई समुदाय खड़ा किया जो आज भी जीवंत और सक्रिय है.

बेतिया राज के महाराजा धुरुप सिंह के साथ उनकी मित्रता और महारानी के स्वास्थ्य लाभ की चमत्कारिक घटना ने इस क्षेत्र में ईसाई मिशन की नींव रखी.1742 में पोप बेनेडिक्ट XIV से मिली अनुमति ने इसे वैधता दी और यही वह क्षण था जिसने उत्तर भारत के सबसे पुराने ईसाई समुदाय — बेतिया ईसाईयों को जन्म दिया.

बर्निनी केवल प्रचारक नहीं थे, वे संस्कृत और हिंदुस्तानी के गहरे ज्ञाता, चिकित्सक, अनुवादक और समाज-शास्त्री भी थे.उनकी पांडुलिपियाँ आज भी यूरोप के पुस्तकालयों और संग्रहालयों में सुरक्षित हैं, जो उनके बहुआयामी व्यक्तित्व की गवाही देती हैं.

वर्तमान संदर्भ में

आज बेतिया ईसाई समुदाय, बिहार और उत्तर भारत की सांस्कृतिक विविधता का अहम हिस्सा है.इस समुदाय ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है.बेतिया में स्थापित चर्च और मिशनरी संस्थाएँ आज भी स्थानीय समाज को जोड़ने का कार्य कर रही हैं.

बर्निनी का सपना केवल आस्था तक सीमित नहीं था—उन्होंने मानवता की सेवा और संस्कृतियों के संवाद को ही अपने मिशन का केंद्र बनाया.यही कारण है कि बेतिया का ईसाई समुदाय आज भी स्थानीय समाज के साथ गहराई से रचा-बसा है.उनकी परंपराओं में भारतीय संस्कृति की झलक स्पष्ट दिखाई देती है—यह उनके "भारतीयकरण" के प्रयास का प्रमाण है.

समकालीन महत्व

आज जब दुनिया धर्म और संस्कृति के नाम पर बँटती जा रही है, बर्निनी का जीवन संदेश देता है कि संवाद, सह-अस्तित्व और परस्पर सम्मान ही समाज को स्थायी रूप से मजबूत कर सकते हैं. बेतिया ईसाई समुदाय की मौजूदगी, शिक्षा और सेवा की परंपरा उसी समर्पण की जीवित मिसाल है.

फादर बर्निनी की धरोहर केवल अतीत की कहानी नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी दिशा-सूचक है.

आलोक कुमार


सोमवार, 1 सितंबर 2025

फिर जवाबदेही क्यों नहीं?

 

संसद का समय जनता का, खर्च भी जनता का – फिर जवाबदेही क्यों नहीं?


नई दिल्ली. लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जनता के टैक्स से चलने वाली संसद ही अक्सर ठप पड़ी रहती है. दमन और दीव से निर्दलीय सांसद उमेश पटेल का संसद परिसर में किया गया विरोध इसी बीमार व्यवस्था पर सीधा प्रहार है.उनका सवाल बड़ा सरल है—जब सदन नहीं चलता, तो खर्च जनता क्यों उठाए? सांसदों की जेब से ही इसकी वसूली क्यों न हो?यह सवाल असहज करने वाला है, क्योंकि संसद का एक-एक मिनट करोड़ों रुपये का होता है.जब सत्ता और विपक्ष बहस छोड़कर हंगामा करते हैं, तो यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय संसाधनों की बर्बादी है. उमेश पटेल का बैनर—“माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो”—असल में हर उस करदाता की आवाज़ है, जो संसद टीवी पर हंगामे का तमाशा देखकर खुद को ठगा महसूस करता है.

इस बार के सत्र के आंकड़े बताते हैं कि 120 घंटे तय चर्चा में से महज़ 37 घंटे ही बहस हो सकी.बाकी वक्त शोर-शराबे की भेंट चढ़ गया.नतीजा यह हुआ कि 14 में से 12 विधेयक बिना चर्चा के पारित कर दिए गए.क्या यही है लोकतंत्र की आत्मा? संसद बहस के लिए बनी है, न कि ‘मशीनरी’ की तरह बिल ठेलकर पास करने के लिए.

ऐतिहासिक उदाहरण

भारत की संसदीय परंपरा में बहस और तर्क को ही लोकतंत्र की जान माना गया है। जवाहरलाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक के दौर में तीखी बहस हुईं, लेकिन संसद का गरिमा और संवाद अभी भटका नहीं.आज की स्थिति इन आदर्श उदाहरणों के उलट है—जहाँ बहस की जगह नारेबाजी और जिद ने ले ली है.

अन्य देशों की मिसाल

दुनिया के कई लोकतंत्रों में ऐसी बर्बादी पर कड़ी व्यवस्था है.उदाहरण के तौर पर, ब्रिटेन की संसद में अगर सांसद लगातार गैर-हाजिर रहते हैं या अनुशासनहीनता करते हैं, तो उनके वेतन में कटौती हो जाती है.अमेरिका में भी टैक्स-पेयर से जुड़ी जवाबदेही पर संसद का अनुशासन बेहद सख्त है. जापान और दक्षिण कोरिया में तो सांसदों पर अनुशासनहीनता की स्थिति में भारी जुर्माना लगाया जाता है. सवाल उठता है कि भारत में ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं?

असली बहस

सवाल यह नहीं कि सत्ता या विपक्ष कौन दोषी है, बल्कि यह है कि जनता के पैसों का अपव्यय आखिर कब तक चलेगा. जब आम नागरिक समय पर टैक्स देता है, तो उसे यह अधिकार भी होना चाहिए कि वह अपने प्रतिनिधियों से जवाब मांगे—आपका एक-एक घंटा कहाँ खर्च हुआ?उमेश पटेल की मांग आज सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की असल आत्मा को बचाने का आह्वान है. संसद में मौजूद हर दल को यह समझना होगा कि संसद हंगामे का अखाड़ा नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों का मंदिर है। अगर यह मंदिर बार-बार अपवित्र होगा, तो जनता अब और चुप नहीं बैठेगी.


आलोक कुमार

रविवार, 31 अगस्त 2025

युवाओं को मिला नई दिशा का प्रशिक्षण

 


प्रमुख योजनाओं पर कार्यशाला 

युवाओं को मिला नई दिशा का प्रशिक्षण

कटिहार का सामाजिक परिदृश्य शनिवार को कुछ अलग था.जगबंधु अधिकारी सामुदायिक भवन में “मेरा युवा भारत (माय भारत)” द्वारा आयोजित कार्यशाला ने न केवल युवाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी बल्कि उन्हें समाज और राष्ट्र निर्माण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश भी दिया.

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.निदेशक डीआरडीए सुदामा प्रसाद सिंह, जिला युवा अधिकारी जनक राज मीना, महानिदेशक प्रतिनिधि बबन कुमार झा सहित अन्य अधिकारियों ने मिलकर यह संदेश दिया कि योजनाओं की रोशनी तभी जन-जन तक पहुंचेगी जब उसका प्रसार सही हाथों तक होगा.

प्रथम सत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन और जल-जीवन-हरियाली जैसी योजनाओं की पात्रता और प्रक्रिया समझाई गई.यह पहल इस मायने में अहम रही कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आज भी कई पात्र लोग योजना से वंचित हैं, क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है. शिक्षा और वित्तीय सहायता से जुड़ी मुख्यमंत्री स्वयं सहायता योजना तथा स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की विस्तृत जानकारी युवाओं के लिए आशा की किरण रही.

कार्यक्रम का दूसरा हिस्सा रोजगार और कौशल विकास पर केंद्रित रहा. एनसीएस पोर्टल और रोजगार मेलों की जानकारी के साथ युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया.कौशल विकास मिशन की चर्चा ने यह स्पष्ट किया कि बिना हुनर के रोजगार की संभावनाएं सीमित होती हैं.

स्वास्थ्य और खेल पर भी विस्तृत विमर्श हुआ. आयुष्मान भारत योजना से लेकर फिट इंडिया मूवमेंट और खेल विभाग की योजनाओं तक, संदेश साफ था—स्वस्थ और सक्रिय युवा ही सशक्त भारत का आधार हैं.कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा कलाकार पेंशन योजना और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की जानकारी ने सांस्कृतिक प्रतिभाओं को भी मंच प्रदान किया.

अंततः 50 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए.यह केवल औपचारिकता नहीं बल्कि इस बात का प्रतीक था कि अब ये युवा योजना के प्रचार-प्रसार में torch bearer की भूमिका निभाएंगे.

निस्संदेह, इस प्रकार की कार्यशालाएं युवाओं को सिर्फ जानकारी नहीं देतीं, बल्कि उन्हें समाज के विकास की धारा से जोड़ती हैं.यह आयोजन कटिहार में युवाओं के लिए नई ऊर्जा और दिशा का वाहक बना है.अब आवश्यकता है कि ऐसे प्रयास सतत् हों और इन प्रशिक्षित युवाओं का इस्तेमाल समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने में हो.


आलोक कुमार

शनिवार, 30 अगस्त 2025

जलवायु परिवर्तन, शमन एवं अनुकूलन विषय पर क्षेत्रीय सम्मेलन

 जलवायु परिवर्तन, शमन एवं अनुकूलन विषय पर क्षेत्रीय सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन पर बैठक

 


पटना.बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में आज एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें हाल ही में आयोजित “जलवायु परिवर्तन, शमन एवं अनुकूलन विषयक क्षेत्रीय सम्मेलन” में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन पर विस्तार से चर्चा की गई.

बैठक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, जल संसाधन विभाग, शहरी विकास एवं आवास विभाग, कृषि विभाग, उद्योग विभाग, ऊर्जा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, सूचना प्रावैधिकी विभाग, जल-जीवन-हरियाली मिशन, बिहार मौसम सेवा केंद्र, एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित विभिन्न विभागों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं.


आलोक कुमार

शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस कार्यालय का गेट तोड़कर अंदर घुस गए थे. भाजपा कार्यकर्ताओं पर गाड़ियों में तोड़फोड़ का भी आरोप है. झड़प में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चोट आने की भी जानकारी है.

   

 पटना. इन दिनों बिहार में वोटर अधिकार यात्रा जारी है. गत दिनों राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कथित रूप से अपशब्द कहे जाने के मामले ने शुक्रवार को पटना में हिंसक मोड़ ले लिया.बीजेपी कार्यकर्ता कांग्रेस कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे और राहुल गांधी के खिलाफ नारेबाजी शुरू की. जवाब में कांग्रेस कार्यकर्ता भी आक्रामक हो गए और देखते ही देखते दोनों दलों के बीच झड़प शुरू हो गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपशब्द कहे जाने के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने पटना में कांग्रेस कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान दोनों दलों के कार्यकर्ता भिड़ गए. कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच लाठी युद्ध हो गया. दोनों पक्षों की तरफ से जमकर डंडे चले जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से संबंधित एक मंच से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिवंगत मां के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल के विरोध में भाजपा द्वारा पटना में मार्च निकाला गया था. भाजपा कार्यकर्ताओं ने दरभंगा में नारे लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय सदाकत आश्रम तक मार्च निकाला. इसी दौरान भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई.

  कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने पटना में पार्टी की बिहार इकाई के कार्यालय पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि सत्य और अहिंसा के आगे, असत्य और हिंसा टिक ही नहीं सकते तथा कांग्रेस सत्य एवं संविधान की रक्षा करती रहेगी.


आलोक कुमार


गुरुवार, 28 अगस्त 2025

शैक्षणिक कैंपस का भगवाकरण कर रही है केंद्र सरकार: शाश्वत शेखर

*लोकतांत्रिक विरोध में हिंसा का कोई स्थान नहीं: एनएसयूआई

*एनएसयूआई के लोकतांत्रिक विरोध पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने किया तानाशाही पूर्ण व्यवहार*

*छात्रों की समस्या को सुनने की जगह गुंडों से मारपीट करवाते हैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री: शाश्वत शेखर

*शैक्षणिक कैंपस का भगवाकरण कर रही है केंद्र सरकार: शाश्वत शेखर


पटना. बिहार के दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने छात्र हितों की खिलाफत करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को काला झंडा दिखाया था जिसके बाद भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े गुंडों ने उनके ऊपर कायरता हमला कर दिया था. इसमें प्रदर्शनकारी एनएसयूआई के छात्र नेताओं की केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से छात्र हित में कदम उठाने की मांग थी जिसे किनार करते हुए लोकतांत्रिक विरोध को गुंडों के बल पर दबाने का काम किया गया। ये बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को काला झंडा दिखाने वाले एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक शाश्वत शेखर ने कही.

एनएसयूआई नेता शाश्वत शेखर ने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग में व्याप्त कुव्यवस्था को खत्म किया जाए और स्वच्छ परीक्षा का आयोजन किया जाएं।.पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए, छात्रावासों, लैब को दुरुस्त और प्लेसमेंट सेल को प्रभावी बनाने की मांग हमने की है। वहीं बिहार के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बिहार के युवाओं को शोध और शैक्षणिक गैर शैक्षणिक नौकरी में मौका दिया जाएं. साथ ही विश्वविद्यालय कैंपस पर आरएसएस के लोगों के द्वारा व्याप्त एकाधिकार को समाप्त किया जाए और नियुक्तियों में आरएसएस के छात्र संगठनों के लोगों की एकतरफा बहाली को अविलंब रोका जाएं.
उन्होंने मांग की है कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में आरएसएस से जुड़े कुलपतियों और शिक्षकों की बहाली धड़ल्ले से जारी है. इस पर अविलंब रोक लगाया जाए.
इन्हीं मुद्दों के खिलाफ एनएसयूआई लगातार संघर्ष करती आ रही है और जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्टूडेंट कॉन्क्लेव के नाम पर पटना आए थे तो उन तक अपनी बात पहुंचाने हम पहुंचे थे लेकिन वहां भाजपा संगठन से जुड़े लोगों ने लोकतांत्रिक विरोध प्रक्रिया को तानाशाही तरीके से मारपीट कर दबाने का काम किया. यह संघर्ष अनवरत जारी रहेगा.एनएसयूआई पूरे बिहार में अपने शीर्ष नेतृत्व के साथ मिलकर बेहतर शैक्षणिक माहौल और छात्रों को नौकरियों में अवसर प्रदान करने को संघर्ष करती रहेगी.
           पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष पद के पूर्व प्रत्याशी प्रकाश तिवारी ने कहा कि एनएसयूआई छात्र हितों के वाजिब मांगों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास पहुंचाने के लिए लोकतांत्रिक विरोध दर्ज कराया लेकिन छात्रों के भलाई के विरोधी लोगों ने दमनात्मक तरीके से इस मामले को कुचलने का प्रयास किया इसमें हमें गंभीर चोट भी आई लेकिन एनएसयूआई ऐसे तानाशाही संगठनों के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी. विश्वविद्यालय में व्याप्त कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ हम लगातार लड़ते रहेंगे.

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट पंकज यादव ने कहा कि गांधी संग्रहालय के सामने गांधीवादी तरीके से एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत छात्र हितों में अपना विरोध दर्ज कराया लेकिन गोडसेवादी मानसिकता के लोगों ने अपनी तानाशाही रवैये से दमनात्मक व्यवहार कर हिंसक रूप से छात्र नेताओं के साथ व्यवहार किया जिसकी हम कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं.

आलोक कुमार

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