पटना.प्रभु येसु ख्रीस्त ने अंतिम ब्यालू के समय बलिदान चढ़ाने की शक्ति दी, जब उसने रोटी और दाखरस को स्वयं के शरीर और रक्त में परिवर्तित करते हुए कहा, 'यह मेरी स्मृति में किया करो.' इन शब्दों के द्वारा उसने उन्हें खीस्तयाग अर्पित करने को कहा. बारह प्रेरित प्रथम धर्माध्यक्ष और पुरोहित थे.वे स्वयं महापुरोहित येसु ख्रीस्त द्वारा अभिषिक्त किए गए थे.प्रेरितों के कार्यकलाप और धर्मग्रंथ के दूसरे भागों में हम पाते हैं कि पुरोहिताई के पवित्र संस्कार द्वारा उन्होंने दूसरे व्यक्तियों को धर्माध्यक्ष और पुरोहितों की शक्ति प्रदान की.केवल धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के पास ही वह शक्ति है, जो ख्रीस्त ने बारह प्रेरितों को प्रदान की थी.
पुण्य बृहस्पतिवार 14 अप्रैल को
हर साल आर्चबिशप अथवा स्थानीय बिशप क्रिस्म मास का आयोजन करते है.यह आयोजन पवित्र सप्ताह के दौरान अंतिम व्यालू के दिन पवित्र बृहस्पतिवार के दिन होता है.इस साल रोम में 14 अप्रैल पुण्य बृहस्पतिवार को प्रातः 9.30 बजे से संत पेत्रुस महागिरजाघर में किस्म मास होगा, जिसमें संत पापा फ्रांसिस, कार्डिनलों, महाधर्माध्यक्षो और पुरोहितों (रोम के धर्मप्रांतीय एवं धर्मसमाजी) के साथ खीस्तयाग अर्पित करेंगे.
प्रेरितों की रानी ईश मंदिर कैथेड्रल,कुर्जी में
बता दें कि किस्म मास करने में सहुलियते दी गयी है.आप ईस्टर पर्व के पूर्व आयोजित कर सकते हैं. इसके कारण राजधानी पटना के कुर्जी में स्थित पटना महाधर्मप्रांत का प्रेरितों की रानी ईश मंदिर कैथेड्रल में क्रिस्म मास 07 अप्रैल को शाम 05 बजे से होगा.महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष सेबस्टियन कल्लूपुरा, विकर जनरल,पल्ली पुरोहितों (पटना के महाधर्मप्रांतीय एवं धर्मसमाजी) के साथ खीस्तयाग अर्पित करेंगे.
किस्म मास में भाग लेने हैं सुदूर ग्रामीण चर्च के पुरोहित
सुदूर ग्रामीण और शहरी चर्च के महाधर्मप्रांतीय एवं धर्मसमाजी पुरोहित किस्म मास में भाग लेने हैं.इन लोगों का जमावड़ा प्रेरितों की रानी ईश मंदिर कैथेड्रल में होगा.महाधर्माध्यक्ष सेवस्टियन कल्लूपुरा के नेतृत्व में किस्म मास होगा.किस्म मास में तीन तरह के पवित्र तेल पर आशीष दी जाती है. एक बीमारों के तेल ,द्वितीय केटक्यूमेन तेल और तीसरा क्रिस्म तेल है.इसमें गुल मेहँदी Balsam डाला जाता है. बिशप स्वामी के द्वारा आशीष दी जाती है.अगर यहीं विशेष कार्यक्रम पुण्य बृहस्पतिवार को क्रिस्म मास होगा,तो सुदूर ग्रामीण और शहरी चर्च के पुरोहितों को वापस जाकर अपने पल्ली में धार्मिक कार्यक्रम करने में दिक्कत होगी. सुबह हो या शाम पुरोहित परेशान ही परेशान हो जाते .इसके चलते पवित्र बृहस्पतिवार को विशेष समारोह नहीं रखा जाता है.
किस्म मास के दौरान सभी पुरोहित अपनी मन्नतों को दोहराते हैं
मुख्य याजक बिशप स्वामी के सामने महाधर्मप्रांतीय एवं धर्मसमाजी सभी पुरोहित अपनी मन्नतों को दोहराते हैं और बिशप के प्रति अपनी आज्ञाकारिता का वादा करते हैं.यह सभी पुरोहितों का एक महापर्व है.इस दिन येसु ख्रीस्त पुरोहिताई संस्कार को ठहराया था.इसलिए इसे एक बड़े समारोह के रूप में मनाते हैं .
क्रिस्म मास के दौरान आशीर्वाद वाले नये तेल पल्ली ले जाते
बता दें कि क्रिस्म मास के दौरान हर पल्ली पुरोहितों को देने के लिए पर्याप्त नए तेल का आशीर्वाद दिया जाता है. पुरोहित पवित्र तेलों को अलग-अलग पैरिशों में ले जाते है, जहाँ वे उस वर्ष के दौरान उपयोग के लिए व्यवहार में लाया जाता है.यद्यपि बिशप प्रत्येक बपतिस्मा या अपने धर्मप्रांत में पुष्टिकरण पर शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते है, वह अपने द्वारा आशीर्वादित पवित्र तेलों के माध्यम से प्रतीकात्मक रूप से उपस्थित हो जाते हैं.बीमार व्यक्तियों के चंगाई के तेल, नए दीक्षार्थियों और बपतिस्मा के लिए तेल और तीसरा पवित्र विलेपन का या पवित्र अभिषेक के लिए तेल की बिशप और अन्य पुरोहितों द्वारा आशीष किया गया.
जैतून का तेल विशेष पात्र में रखा जाता है
वचन की आराधना के बाद, तेलों का आशीर्वाद होता है. एक औपचारिक जुलूस में, जैतून का तेल विशेष कलशों में आगे लाया जाता है.बीमारों का तेल पहले पेश किया जाता है, फिर कैटेचुमेन्स का तेल, और अंत में पवित्र क्रिस्म के लिए तेल. बिशप व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक तेल पर प्रार्थना करता है और आशीर्वाद देता बिशप जैतून के तेल के साथ बालसम के पौधे से तेल मिलाता है, पवित्र आत्मा की उपस्थिति को दर्शाने के लिए मिश्रित तेल पर सांस लेता है, और फिर इसे पवित्र करने के लिए प्रार्थना करता है.एक बार इस तरह से आशीर्वाद देने के बाद, क्रिस्म और अन्य तेल अब साधारण मलहम नहीं रह गए हैं.इसके बजाय, वे चर्च के लिए भगवान से एक पवित्र, कीमती उपहार हैं, जो शुद्धिकरण और मजबूती, उपचार और आराम, और पवित्र आत्मा की जीवन देने वाली कृपा को दर्शाता है.
आलोक कुमार
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