शनिवार, 1 नवंबर 2025

पवित्रता और मानवीयता का उत्सव 1 नवंबर

 सभी संतों को नमन

पटना.सभी संतों को नमन: पवित्रता और मानवीयता का उत्सव 1 नवंबर — यह तिथि केवल ईसाई कैलेंडर का एक दिन नहीं, बल्कि आत्मा की पवित्रता और मानवता की महानता का उत्सव है.इस दिन विश्व भर का ईसाई समुदाय ऑल सेंट्स डे या सर्व संतों का पर्व मनाता है — एक ऐसा अवसर, जब वे उन सभी संतों को स्मरण करते हैं जिन्होंने अपने जीवन को ईश्वर और मानवता की सेवा में अर्पित किया.

    इतिहास की पवित्र गूंज इस परंपरा की जड़ें 609 ईस्वी में मिलते हैं, जब पोप बोनिफेस चतुर्थ ने रोम के प्रसिद्ध पैंथियन मंदिर को एक ईसाई चर्च में रूपांतरित कर दिया. इसे उन्होंने सेंट मैरी एंड द मार्टियर्स (सेंट मैरी और शहीदों का चर्च) के नाम से समर्पित किया.दो शताब्दियों बाद, 837 ईस्वी में पोप ग्रेगरी चतुर्थ ने इस पर्व को नवंबर में स्थानांतरित किया. तब से यह दिन न केवल पश्चिमी ईसाई जगत में, बल्कि विश्व के हर कोने में श्रद्धा और विनम्रता के साथ मनाया जाता है.

    संतत्व का अर्थ ईसाई परंपरा में “संत” वह नहीं जो केवल मठों में तपस्या करता है, बल्कि वह भी है जो जीवन की कठोर वास्तविकताओं में भी करुणा और सच्चाई का उदाहरण बनता है.भारतीय संस्कृति में भी यही भाव संत तुलसीदास, कबीर, नानक और बुद्ध की वाणी में प्रतिध्वनित होता है. जिस प्रकार भारत में ‘संत’ शब्द करुणा, समानता और प्रेम का प्रतीक है, उसी प्रकार पश्चिम में Saint ईश्वर के मार्ग पर चलने वाले उन साधकों का प्रतीक है, जिन्होंने समाज को प्रकाश दिया.

  आध्यात्मिक निरंतरता 31 अक्टूबर की रात को ऑल हैलोज़ ईव यानी हैलोवीन मनाई जाती है — संतों की पूर्वसंध्या. इसके अगले दिन, 2 नवंबर को ऑल सोल्स डे आता है, जब ईसाई मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.इस प्रकार अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत आत्मचिंतन, स्मरण और आत्मा की पवित्रता के उत्सव के रूप में देखी जाती है.

     आज के समय का संदेश आज जब दुनिया भौतिकता की दौड़ में आत्मा को पीछे छोड़ चुकी है, ऑल सेंट्स डे हमें भीतर झाँकने का अवसर देता है. यह पर्व याद दिलाता है कि पवित्रता कोई चमत्कार नहीं, बल्कि जीवन जीने की सजग शैली है.संत हमें यही सिखाते हैं कि भलाई के लिए कोई मंच नहीं चाहिए — एक विनम्र कर्म, एक सच्चा शब्द, एक करुणामय दृष्टि भी संतत्व की राह है.जिस प्रकार भारत में दीपावली अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, उसी प्रकार ऑल सेंट्स डे अंधेरे मन से उजली आत्मा की ओर लौटने का आह्वान है.संतों को नमन — क्योंकि वे हमारे भीतर सोई हुई दिव्यता को जगाने की प्रेरणा हैं.


आलोक कुमार

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