शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023

बेडसोर होने का खतरा

 

पीछे की जोड़ की हड्डी टूट गयी

बेतिया.किसी ईसाई व्यक्ति की मौत होने पर कमलनाथ नगर में स्थित बेतिया कब्रिस्तान में ईसाई धर्म रीति के अनुसार दफन किया जाता है.इसी कब्रिस्तान के नुक्कड़ पर आल्फ्रेड जोवाकिम रहते हैं.गिर जाने हड्डी तोड़वा बैठा है.वह घातक बेडसोर से पीड़ित है.

बता दें कि त्वचा पर लंबे समय तक दबाव के कारण त्वचा और उसके नीचे मौजूद ऊतकों को नुकसान हो रहा है.बेडसोर होने का खतरा ज़्यादातर उन लोगों को होता है जो अपनी स्थिति के कारण अपने शरीर को ज़्यादा चला नहीं पाते और लंबे समय तक एक ही अवस्था में रहते हैं.इसका शिकार बदनसीब आल्फ्रेड जोवाकिम हो गया है.वह किसी मसीहा की तलाश में ऐसी अवस्था से उबार दें.एक पर नजर है.वह परोपकारी संस्था संत विंसेंट डी पौल ही है.

फिलहाल यह बताया जाता है कि राजधानी पटना स्थित मरियम टोला से आकर बेतिया पल्ली में आल्फ्रेड जोवाकिम रहने लगा है.वह यहां ठेला चलाने का धंधा करता है.कम आमदनी होने के कारण आल्फ्रेड की धर्मपत्नी से संबंध विच्छेद है.

कहा जाता है कि वह एक दिन लड़खड़ा कर गिर गया था.धरती पर धड़ाम से गिर जाने के बाद हड्डी तोड़वा बैठा है. पीछे की जोड़ की हड्डी टूट गयी है.गरीबी के दलदल में रहने के कारण चिकित्सा नहीं करवा सक रहा है.एक लोकधर्मी के द्वारा निर्मित संत विंसेंट डी पौल समाज के यहां एरिया काउंसिल स्थापित है.इस एरिया काउंसिल का अध्यक्ष रंजीत केरोबिन है.जो हर संस्था/संगठन में ससम्मान शामिल रहते है.

बता दें कि एक विंसेंटियन होने के नाते एरिया काउंसिल का अध्यक्ष रंजीत केरोबिन होम विजिट करना अनिवार्य है.इसमें हॉस्पिटल और जेल भी शामिल है.संत विंसेंट डी पौल समाज के पटना सेंट्रल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष सुशील लोबो ने दूरभाष पर बताया कि कमलनाथ नगर में स्थित कब्रिस्तान के नुक्कड़ पर रहने वाले पीड़ित आल्फ्रेड जोवाकिम के घर जाकर आवेदन लिख कर संत विंसेंट डी पौल समाज के उच्चतर अधिकारियों के पास आवेदन भेजना चाहिए.इस बीच एरिया काउंसिल को त्वरित कार्रवाई कर आल्फ्रेड जोवाकिम की जिंदगी बचानी चाहिए.

आल्फ्रेड जोवाकिम का पीछे की जॉइंट बोन की हड्डी टूटी है.लगातार बिस्तर पर लेटे रहने से बेडसोर हो गया है.आसपास के लोग मानवता के नाते पीड़ित की जान बजाने का आग्रह कर रहे है.बारम्बार चर्च के नाम पर चंदा देने वाले बेतिया भक्तगण चंदा करके हड्डी टूटे व बेडसोर से पीड़ित को सामान्य जिंदगी जीने लायक बना पाएंगे?यह तो कल ही पता चल जाएगा. 

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